पटना, 13 जुलाई बुद्धा कॉलोनी स्थित अपने आवास में 36 वर्षीय सृष्टि सिन्हा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। जहां एक ओर मृतका के मायके पक्ष ने पति डॉ. अभिजीत सिन्हा पर गंभीर आरोप लगाए हैं, वहीं अब डॉ. सिन्हा के करीबी सहयोगियों और रिश्तेदारों ने इस घटना को आत्महत्या करार देते हुए आरोपों को साजिश बताया है।
डॉ. सिन्हा के परिजनों के अनुसार, सृष्टि सिन्हा पिछले कुछ महीनों से मानसिक तनाव और अवसाद से जूझ रही थीं। एक पारिवारिक मित्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “सृष्टि जी का व्यवहार हाल के दिनों में काफी असामान्य हो गया था। वह बच्चों के साथ भी अक्सर तनाव में रहती थीं। डॉ. अभिजीत ने उन्हें चिकित्सकीय सलाह लेने की सलाह दी थी।”
वहीं दूसरी ओर, सृष्टि के मायके पक्ष ने डॉ. सिन्हा पर विवाहेतर संबंध और मानसिक उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों को डॉ. सिन्हा के समर्थकों ने बेबुनियाद और तथ्यहीन बताया है। एक अस्पताल कर्मी के अनुसार, “डॉ. अभिजीत एक समर्पित सर्जन और पारिवारिक व्यक्ति हैं। उनके चरित्र पर सवाल उठाना अनुचित है, जब तक कोई पुख्ता प्रमाण सामने न आए।”
मृत्यु के बाद डॉ. सिन्हा अपने तीनों बच्चों को लेकर शहर से बाहर चले गए, जिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। डॉ. सिन्हा के पक्ष का कहना है कि यह कदम बच्चों की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उठाया गया। “बच्चे मां की मौत से सदमे में हैं। ऐसे में उन्हें एक शांत और सुरक्षित वातावरण देना जरूरी था,” एक रिश्तेदार ने कहा।
घटना की सूचना पुलिस को देर से देने और शव को खुद पोस्टमार्टम के लिए भेजे जाने पर भी सवाल उठे हैं। डॉ. सिन्हा पक्ष का कहना है कि घटना के वक्त परिवार स्तब्ध और भयभीत था। “हमने तत्काल चिकित्सा सहायता की उम्मीद में शव को अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया,” पारिवारिक सूत्रों ने बताया।
डॉ. अभिजीत सिन्हा के अधिवक्ता ने दावा किया कि पीएमसीएच में मृतका के ससुराल वालों द्वारा डॉ. सिन्हा और उनके परिजनों के साथ मारपीट की गई, जिसके कारण वे अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके। “हमारी ओर से कोई छिपाव नहीं है, लेकिन हमें न्याय की प्रक्रिया में अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया जा रहा,” उन्होंने कहा।
अधिवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि मीडिया ट्रायल और एकतरफा रिपोर्टिंग के चलते जांच प्रभावित हो रही है। “हम पुलिस और प्रशासन से मांग करते हैं कि इस मामले की जांच निष्पक्ष, संवेदनशील और साक्ष्यों के आधार पर की जाए,” उन्होंने कहा।
डॉ. अभिजीत सिन्हा और उनके परिवार से जुड़े लोगों का कहना है कि भावनात्मक उत्तेजना और सामाजिक दबाव के चलते एकतरफा धारणा न बनाई जाए और पूरे मामले को तथ्यों की कसौटी पर परखा जाए।